पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने विश्व भर में हाड्रोजन को एक ऑटो ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए हाइड्रोजन कॉर्पस फंड की स्थापना की है। भारत सरकार का मानना है कि भारतीय तेल उद्योगों को इस सीमांत क्षेत्र में प्रगति करने के लिए प्रतिष्ठित तकनीकी संरचनाओं के साथ सक्रियात्मक रूप से और धनिष्ठता से काम करना होगा। इस उद्देश्य को धान में रखते हुए मंत्रालय ने तेल क्षेत्र को सार्वजनिक उपक्रमों /तेउविबो द्वारा निम्नानुसार योगदानों से 100 करोड रूपये की निधि के हाइड्रोजन कॉर्पस फंड की स्थापना की है।
1. तेल उद्योग विकास बोर्ड 40 करोड रूपये
2. ओ.एन.जी.सी., आई.ओ.सी.एल., गेल 16 करोड रूपये प्रत्येक
3. एच.पी.सी.एल., बी.पी.सी.एल. 6 करोड रूपये
उच्च प्रौद्योगिकी केन्द्र (सीएचटी) एचसीएफ परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए नोडल ऐजेंसी है। तेउवि बोर्ड को एचसीएफ के बैंक खातों का रखरखाव करने का निदेश हुआ है। 31 मार्च 2016 तक एचसीएफ के खाते में लगभग 129.00 करोड रूपये कुल कॉर्पस था।
एचसीएफ परियोजना के लिए अनुमोदित सभी आठ परियोजनाएं 27 करोड की लागत में पूरी की जा चुकी है। पाइपलाइन में कोई परियोजनाएं शेष नहीं है। निधियों के उपयोग के खराब ट्रेक रिकार्ड को देखते हुए और वर्ष 2011 के बाद से कोई प्रस्ताव प्राप्त न होने के कारण दिनांक 17.3.2015 को विशेष सचिव एवं वित्त सलाहकार, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की अध्यक्षता में हुई बैठक में एचसीएफ को भंग करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा चालू परियोजनाओं को 31.3.2016 तक पूरा करने का भी निर्णय लिया गया। कॉर्पस में दिए गए योगदान को तेउविबो सहित सभी प्रतिभागी संगठनों को वापस करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, सरकार की ओर से इस संबंध में कोई अधिकारिक दिशा-निर्देश/आदेश प्राप्त न होने के कारण एचसीएफ को भंग नहीं किया जा सका। एचसीएफ के अंतर्गत हाइड्रोजन के अतिरिक्त अन्य वैकल्पिक ईंधन के विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को शामिल करने के लिए एचसीएफ के दायरे को बढाया जा सकता है, इस मामले पर निर्णय अभी लंबित है।